अमर चित्र कथा हिन्दी >> चतुर शिरोमणि रामन चतुर शिरोमणि रामनअनन्त पई
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चतुर शिरोमणि रामन के जीवन पर आधारित....
Chatur Shiromani Raman -A Hindi Book by Anant Pai
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
चतुर शिरोमणि रामन
किसी साधारण से मनुष्य की बड़े-बड़ों से टक्कर लेने और विजय होने की कथा साहित्य में बार-बार भिन्न-भिन्न रूपों में दोहराई गयी है। कभी-कभी यह विजय पराक्रम से प्राप्त की जाती है परंतु प्रायः अनोखी सूझ-बूझ वाक्-चातुर्य और हाजिर-जवाबी से। तेनाली गाँव का रामन एक ऐसा ही साधारण व्यक्ति था। रामन विजय नगर के नरेश कृष्णदेव राय (1509 -1529) का राज विदूषक होने के साथ-साथ तेलुगु कवि भी था उसे दक्षिण का बीरबल भी कहा जाता है। उसकी अनेक रोचक कहानियाँ दक्षिण भारत में लोक-कथाओं के रूप में प्रचलित हैं।
चतुर शिरोमणि रामन
एक दिन, विजयनगर के महान राजा कृष्णदेव राय के दरबार में काशी के एक विद्वान पधारे ।
महाराज, मैं आपके दरबार के पंडितों को चुनौती देता हूँ, ज्ञान के किसी भी विषय पर मुझसे शास्त्रार्थ कर देखें।
दरबार आपकी चुनौती स्वीकार करके सम्मानित होगा। लेकिन दरबार के पंडितराज बुरी तरह घबरा गये। बाद में राजा से एकांत में बोले।
महाराज चुनौती स्वीकार करने का हममें साहस नहीं है, संसार मे इनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता !
यानी हमारे यहाँ कोई भी ऐसा नहीं है जो इनसे शास्त्रार्थ कर सके ?
चुनौती स्वीकार कीजिए, महाराज मैं तैयार हूँ।
यह, पंडितराज को अप्रिय लगने वाला किंतु महाराज का कृपापात्र, तेनाली का रामन था।
महाराज, मैं आपके दरबार के पंडितों को चुनौती देता हूँ, ज्ञान के किसी भी विषय पर मुझसे शास्त्रार्थ कर देखें।
दरबार आपकी चुनौती स्वीकार करके सम्मानित होगा। लेकिन दरबार के पंडितराज बुरी तरह घबरा गये। बाद में राजा से एकांत में बोले।
महाराज चुनौती स्वीकार करने का हममें साहस नहीं है, संसार मे इनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता !
यानी हमारे यहाँ कोई भी ऐसा नहीं है जो इनसे शास्त्रार्थ कर सके ?
चुनौती स्वीकार कीजिए, महाराज मैं तैयार हूँ।
यह, पंडितराज को अप्रिय लगने वाला किंतु महाराज का कृपापात्र, तेनाली का रामन था।
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